संत शिरोमणि लिखमीदास जी की 274वीं जयंती, माली समाज ने मनाई गुरु पूर्णिमा

संत शिरोमणि लिखमीदास जी की 274वीं जयंती पर टोंक सदर माली सैनी समाज ने मनाया गुरु पूर्णिमा पर्व

टोंक। सदर माली (सैनी) समाज ने रविवार को गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर संत शिरोमणि लिखमीदास जी की 274वीं जयंती को चिड़ियों की बाड़ी बैकुंठ धाम में धूमधाम से मनाया। इस विशेष अवसर पर रामधन जी मंडावर वाले गुरुजी ने संत लिखमीदास जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्प अर्पित किए और उनके जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि संत लिखमीदास जी ने सामाजिक समरसता का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया था। वे न केवल एक संत थे, बल्कि एक लेखक और कवि भी थे, जो बाबा रामदेव जी के अनन्य भक्त थे। संत लिखमीदास जी ने सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अनेक आंदोलन किए और प्रकृति प्रेम एवं भक्ति रस का उपदेश दिया।

इस उपलक्ष्य में सदर अध्यक्ष अचलेश सैनी, सीताराम टांक, जगदीश जी मोड्यालया, हीरालाल सैनी, रामबाबू सैनी, रामेश्वर मारोठिया, भगवान दास सैनी, कन्हैयालाल सैनी, अमित सैनी, सतीश सैनी, ग्यारसी लाल सैनी, विनोद मारोठिया, रामसहाय सोलंकी, भाई लाल मारोठिया, फुल जी मारोठिया, ताराचंद सैनी, और कमलेश सैनी उर्फ ठाकर सोलंकी सहित अनेक समाज बंधु उपस्थित रहे।

इस विशेष आयोजन ने समाज में एकता और समरसता का संदेश फैलाया और संत लिखमीदास जी की शिक्षाओं को याद करते हुए उनके योगदान को सराहा। समाज के इस सामूहिक आयोजन ने गुरु पूर्णिमा को और भी पावन बना दिया, जिससे समाज के हर वर्ग में भाईचारे और प्रेम का संचार हुआ।

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