डिग्गी उपखंड क्षेत्र में बिजली विभाग ने अपनी ‘मनमानी’ की एक और कहानी लिख डाली है। लक्खी मेले के नाम पर 20 जुलाई से 31 जुलाई तक 3 घंटे की कटौती का ऐलान किया गया था, लेकिन विभाग की दरियादिली का आलम यह है कि लोगों को पूरे दिन 7 से 8 घंटे की कटौती का ‘तोहफा’ मिल रहा है। जिला कलेक्टर की मीटिंग में विभाग ने बड़े गर्व से बताया था कि मेंटेनेंस का काम पूरा हो चुका है। लेन क्या ही कहें, विभाग की जुबान और काम दोनों का कोई मेल ही नहीं है। 4 घंटे की कटौती की घोषणा होती है, और हकीकत में 7 घंटे की कटौती झेलनी पड़ती है।
गर्मी के इस मौसम में जब पंखे और कूलर की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब बिजली विभाग ने जनता को ‘तपस्या’ करने का अवसर प्रदान किया है। लोग अपने दैनिक कार्यों में परेशान हो रहे हैं, व्यापारी वर्ग को भारी नुकसान हो रहा है, लेकिन विभाग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
जनता में इस ‘महान’ सेवा के खिलाफ गुस्सा फूट रहा है। लोग अधिकारियों से संतोषजनक जवाब मांग रहे हैं, लेकिन अफसोस! अधिकारियों के पास जनता की समस्याओं का कोई हल नहीं है। शायद वो भी इसी कटौती के शिकार हो चुके हैं, और अपने एयर कंडीशन कमरों में बैठे हुए जवाब देने से कतरा रहे हैं।
लोग एकजुट होकर अपनी समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जब तक विद्युत विभाग की मनमानी और प्रशासन की अनदेखी का खेल चलता रहेगा, तब तक जनता को इस ‘तपस्या टाइम’ का सामना करना ही पड़ेगा।
बिजली विभाग की इस ‘विशेष सेवा’ के लिए शायद हमें उन्हें धन्यवाद देना चाहिए। आखिरकार, जब तक ऐसे विभाग और ऐसे अधिकारी होंगे, जनता को किसी और ‘मनोरंजन’ की जरूरत ही कहां पड़ेगी?
तो, अगली बार जब आपके घर की बत्ती गुल हो, तो बस एक मुस्कान के साथ कहें, “धन्यवाद, बिजली विभाग, हमें तपस्या के इस अनोखे अनुभव के लिए!”
रिपोर्ट :- मनोज टांक