छोटी काशी कहे जाने वाली डिग्गी में श्रावण माह के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है, लेकिन प्रशासन और सरकार की ओर से ‘विशेष सुविधाएं’ देखी जा रही हैं—न स्वच्छ पेयजल, न शौचालय, और न ही किसी तरह की ज़रूरी व्यवस्थाएं। मेला शुरू होने में केवल 5 दिन बाकी हैं, लेकिन श्रद्धालुओं के लिए तैयारी की स्थिति बिलकुल भी तात्कालिक नहीं है।
रोडवेज बस स्टैंड पर नवनिर्मित भवन के ताले जड़े हुए हैं और पानी की व्यवस्था जैसे यहाँ से नदारद हो गई है। देव स्थान विभाग द्वारा बनाए गए शौचालय भी असामाजिक तत्वों के अड्डे बन चुके हैं। खुलेआम शराबियों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है, जिससे महिलाओं और बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाएं सुविधाओं के लिए इधर-उधर भटक रही हैं, और उनके लिए सच्ची राहत का कहीं अता-पता नहीं।
यहाँ के राजनीतिक नेताओं की राजनीति चौपड़ चौराहे से लेकर रोडवेज बस स्टैंड तक सिमट कर रह गई है। नेताओं की नाकामी और प्रशासन की अनदेखी ने श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का सपना चूर-चूर कर दिया है। पुलिस और आबकारी अधिकारियों का इस असामाजिक माहौल पर कोई ध्यान नहीं है, और प्रशासन की बेख़बरियाँ इस धार्मिक नगरी की गरिमा को चुराने में लगी हैं।
भाजपा सरकार के राज में तीर्थस्थलों की यह स्थिति एक गहरी चिंता का विषय है। मंत्री कन्हैया लाल चौधरी, जो दावा करते हैं कि वे श्री कल्याण जी की कृपा से मंत्री बने हैं, क्या इस मेले में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं में सुधार करवा पाएंगे? क्या भाजपा सरकार के राज में तीर्थस्थल इसी तरह बदहाल रहेंगे? यह सवाल हर श्रद्धालु के मन में गूंज रहा है, और प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि डिग्गी की धार्मिक गरिमा और श्रद्धालुओं की सुविधा बनी रह सके।
यह सचमुच एक ‘सुविधा’ है—धर्म की आड़ में प्रशासन की नाकामी और सरकार की अनदेखी का। अगली बार जब आप डिग्गी आएं, तो बस एक मुस्कान के साथ कहिए, “धन्यवाद, सरकार और प्रशासन, हमें इस ‘विशेष’ अनुभव के लिए!”
रिपोर्ट :- मनोज टांक