भगवान को प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती , भक्ति और श्रद्धा से मिलते हैं ईश्वर : उत्तम जी महाराज

जहाजपुर, (अनिल सोनी): कस्बे के बारह देवरा मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन महर्षि उत्तम स्वामी महाराज ने श्रद्धालुओं को भक्ति के अनमोल संदेश दिए। उन्होंने सुखदेव आगमन, ध्रुव चरित्र, अजामिल और प्रहलाद की कथा को विस्तार से प्रस्तुत किया, जिससे पूरे माहौल में भक्ति की लहर दौड़ गई।

स्वामी महाराज ने कथा के दौरान कहा, “भगवान को प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती। ईश्वर की सच्ची भक्ति और श्रद्धा से ही भगवान मिलते हैं।” उन्होंने ध्रुव चरित्र का उल्लेख करते हुए बताया कि ध्रुव एक बालक था, लेकिन उसकी अडिग भक्ति और दृढ़ संकल्प ने उसे भगवान के साक्षात्कार तक पहुंचा दिया। स्वामी जी ने बताया कि भगवान की प्राप्ति के लिए उम्र कोई बाधा नहीं है; बल्कि सच्चा मन और निष्ठा ही आवश्यक है।

उत्तम स्वामी महाराज ने पांडव और अश्वत्थामा की कथा का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि गुरु द्रोण की मृत्यु की खबर सुनते ही अश्वत्थामा ने पांडवों पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, जिससे अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ। राजा परीक्षित की कथा में बताया गया कि कैसे एक भूल के कारण उन्हें मृत्यु का श्राप मिला और फिर सुखदेव जी का आगमन हुआ।

कथा के दौरान भक्तों की बड़ी संख्या में उपस्थिति यह दर्शाती है कि श्रद्धा और भक्ति से भरा यह आयोजन सभी के हृदयों को भगवान के करीब ला रहा है।

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