BJP की संगठनात्मक बैठक, राठौड़ की गैरमौजूदगी पर मचा बवाल, ‘राजेंद्र राठौड़ का अपमान नहीं सहेगा राजस्थान’ के नारों की गूंज

टोंक, (पीयूष गौत्तम)। जिला मुख्यालय पर शुक्रवार को आयोजित बीजेपी की संगठनात्मक बैठक में देवली-उनियारा सीट पर गहन मंथन हुआ, लेकिन इस महत्वपूर्ण बैठक में राजेंद्र राठौड़ की गैरमौजूदगी ने चर्चा का केंद्रबिंदु बनते हुए पार्टी के भीतर गुटबाजी की आशंकाओं को हवा दे दी।

राठौड़, जिन्हें देवली-उनियारा सीट का प्रभारी नियुक्त किया गया है, हरियाणा में चुनावी तैयारियों के सिलसिले में हिसार दौरे पर थे। उनकी अनुपस्थिति में ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र गोठवाल और ओमप्रकाश भड़ाना ने बैठक में हिस्सा लिया, लेकिन राठौड़ की कमी साफ महसूस की गई।

राजेंद्र राठौड़ की गैरमौजूदगी पर राधा मोहन दास का कड़ा संदेश
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल ने इस महत्वपूर्ण बैठक में राठौड़ की गैरमौजूदगी को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से सख्त टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “बैठक में सभी नेताओं की उपस्थिति अनिवार्य है, और जो नेता अनुपस्थित रहे, उनसे जवाबदेही की उम्मीद की जाएगी।” इस बयान ने पार्टी के भीतर राठौड़ के प्रति असंतोष की स्थिति को उजागर कर दिया, जिससे राजस्थान की सियासत में नई हलचल मच गई है।

बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं का अपमान
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी के इन बयानों पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, “बीजेपी में वरिष्ठ नेताओं का अपमान हो रहा है। नेताओं की हाजिरी लेकर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। राठौड़ जैसे वरिष्ठ नेता के साथ इस तरह का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। बीजेपी में टिकट की चिंता में वरिष्ठ नेताओं की इज्जत तक दांव पर लगा दी जा रही है।”

राधा मोहन दास ने याद दिलाया दंगों का इतिहास
राधा मोहन दास अग्रवाल ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “कांग्रेस का इतिहास दंगों से भरा पड़ा है। नेहरू लाशों पर बैठकर प्रधानमंत्री बने, राजीव गांधी ने सिख दंगे कराए, और सचिन पायलट भी दंगे कराकर नेता बने। कांग्रेस की सत्ता की भूख ने देश को बार-बार विभाजन और हिंसा की आग में झोंका है।”

गुटबाजी की ‘महाभारत’ और ‘राजस्थान नहीं सहेगा’ के नारे
बैठक के दौरान जब राजेंद्र राठौड़ की अनुपस्थिति का जिक्र हुआ, तो “राजेंद्र राठौड़ का अपमान नहीं सहेगा राजस्थान” के नारे भी गूंज उठे। यह नारे शायद राठौड़ के खिलाफ उठ रहे सवालों के खिलाफ थे। बीजेपी के भीतर गुटबाजी की स्थिति स्पष्ट हो रही है, जहां शीर्ष नेतृत्व की अनदेखी या ‘जानबूझकर अनदेखी’ की रणनीति का खेल चल रहा है।

‘कुर्सी के खिलाड़ी’ और ‘अपमान का महाभारत’
बैठक के इस घटनाक्रम ने यह भी उजागर किया कि पार्टी के भीतर ‘कुर्सी के खिलाड़ी’ अपने-अपने खेल में मस्त हैं। राठौड़ का हिसार दौरा हो या जयपुर की बैठक को बीच में छोड़कर जाना, हर घटना की सियासी व्याख्या हो रही है। अब जब पार्टी के नेता खुद ‘महासंग्राम’ में लगे हों, तो जनता के हितों की कौन परवाह करेगा? शायद यही कारण है कि “राजस्थान नहीं सहेगा” के नारे लगाकर पार्टी के भीतर ‘अपमान का महाभारत’ छेड़ा जा रहा है।

राजस्थान की सियासत में उठापटक जारी
टोंक में आयोजित इस बैठक से यह साफ हो गया कि राजस्थान की सियासत में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पक्ष आक्रामक मोड में हैं। एक ओर बीजेपी के भीतर अनुशासन और वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति को लेकर सवाल उठ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी अपने प्रतिद्वंद्वियों पर हमले करने से पीछे नहीं हट रही है। आगामी चुनावों से पहले यह तनाव और भी अधिक बढ़ने की संभावना है, जहां हर कदम का सियासी मायनों में आकलन किया जाएगा।

राजस्थान में राजनीति का खेल अपने चरम पर है। एक तरफ बीजेपी के भीतर गुटबाजी के संकेत साफ दिख रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की आक्रामक राजनीति भी पीछे नहीं हट रही है। आने वाले समय में इस गुटबाजी की ‘महाभारत’ के और भी नए अध्याय खुलने की पूरी संभावना है।

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